लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

45-श्रवन ने रानी और दीपक को डॉक्टर से मिलवाया

रानी और दीपक सुबह का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, कि कब सुबह हो और वह डॉक्टर के यहां जाएं। बेचैनी तो उनकी यह कह रही थी, कि जैसे ही वह  डॉक्टर के यहां जाएंगे वैसे ही उनकी गोद में बच्चा आ जाएगा। रात भर बेचैनी सी करवटें बदलते हुए दीपक और रानी ने जैसे-तैसे रात काटी। सुबह पक्षियों की चहचहाहट सुनकर दीपक और रानी की आंख खुल गई। सूरज ने अपनी आभा बिखेर दी थी। पेड़ों पर सूर्य की किरण अपनी सुनहरी आभा बिखेर रही थी। अचानक देखा कि रानी चाय के दो कप लेकर दीपक के सामने रखते हुए बोली।कि लीजिए चाय पी लीजिए। दीपक से कहा-आओ बैठो, कहां जा रही हो। साथ में बैठकर चाय पीते हैं। मित्र के कहने पर रानी वहीं बैठ गई और उसने एक कप चाय उठा कर दीपक को दे दिया, और दूसरा कप खुद के हाथ में लिया ।दोनों ने अभी एक एक सिप चाय पी थी। कि उन दोनों की नजर एक साथ एक चिड़िया के जोड़े पर पड़ी,जो बड़ी तल्लीनता से मनुहार कर रहे थे। दीपक और रानी चिड़िया और चिडे के जोड़े को बड़े ध्यान से मनुहार करते हुए देख रहे थे। दीपक और रानी उनको प्यार करते देख एक सुखद अनुभव कर रहे थे।प्यार एक ऐसी शक्ति है, जिसमें भगवान की महिमा छुपी होती है। जहां प्यार होता है, वहां पर भगवान की कृपा होती हैं। सम्मति होती है, सुख होता है। और सकारात्मक सोच से मिलने वाली ऊर्जा भी प्रभु की कृपा होती है, दीपक बोलता है, प्यार में तो सब कुछ है। प्यार एक असीम कृपा है भगवान की। जिसे मिलती है, वह बहुत ही सौभाग्यशाली होता है। पक्षियों की सुंदर मनुहार देखकर उन दोनों की सुबह बड़ी सुहानी हो गई थी। इतने में फोन की घंटी बजने लगी। रानी बोली-लीजिए श्रवन भाई साहब का फोन है। दीपक ने फोन उठाया और श्रवन से बात की श्रवन ने कहाकहा लोग रास्ते में मिल जाते हैं। और फिर डॉक्टर के यहां चलते हैं। दीपक के चेहरे पर मुस्कान देखकर रानी ने पूछा क्या हुआ जो तुम इतना मुस्कुरा रहे हो। दीपक ने रानी को बताया- कि जल्दी से तैयार हो जाओ। श्रवन  का फोन था उसने डॉक्टर से अपाइंटमेंट ले ली है, और हमें तुरंत डॉक्टर के पास जाना है। इतनी सुहानी खबर पाकर सुबह और भी सुहानी दिखने लगी थी।

श्रवन के फोन के बाद दीपक तुरंत उठा, और बाथरूम में चला गया। जब तक दीपक नहा कर आया, तब तक रानी ने नाश्ता तैयार कर दिया था। दीपक के बाथरूम से बाहर आते ही रानी बाथरूम में घुस गयी। रानी जब तक बाथरूम के बाहर आई,तब तक दीपक कपड़े पहन कर तैयार हो गया था।  रानी ने नहाकर भगवान के हाथ जोड़े और पूजा पाठ किया ।उसके बाद तैयार होकर वह बाहर आई। और साथ में दीपक और रानी दोनों ने नाश्ता किया। नाश्ता करने के बाद उन दोनों ने घर से निकलने का निश्चय किया।

और बाहर आई तो  देखा- कि जीर्ण शीर्ण काया एक वृद्धा उनके दरवाजे पर खड़ी थी।रानी को देखते ही उसने खाने के लिए कुछ मांगा वृद्धा ने कहा कि बिटिया बहुत भूख लगी है। मुझे कुछ खाने को दे दो। दोनों को अस्पताल जाने के लिए बड़ी देर हो रही थी‌ परंतु रानी ने दीपक से कहा- कुछ देर रूकिए । मैं इस बूढ़ी मां के लिए कुछ खाने को लाकर देती हूं।  फिर हम अस्पताल की ओर रवाना होंगे, रानी यह कह कर अंदर  चली गई । और उसने जो नाश्ता बनाया था उसमें से कुछ नाश्ता बचा हुआ, वही नाश्ता रानी ने उस बूढ़ी मां को लाकर दे दिया ।और उस बूढ़ी मां से खुद को दुआएं देने के लिए कहा- कहा कि ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि हमारे घर में भी एक किलकारी गूंज जाए। यह कहते कहते रानी की आंखों में आंसू आ गए। बूढ़ी मां ने ये सब देखा तो वह समझ गई। कि इस बच्ची के मन में औलाद की चाहत इसको तड़पा रही है। उस वृद्धा को जोरों की भूख लगी हुई थी। अतः उसने नास्ते में से एक कौर खाया। कौर  खाकर उसे बड़ा ही आनंद आया। आनंद के साथ उसने रानी को आशीर्वाद दिया।कि जा बेटा तेरी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी। यह सुनकर जैसे रानी के मनरूपी बाग  को किसी ने जल रूपी आशीष से सींच दिया हो। उसने बूढ़ी मां से कहा-  कि मां अभी तो हम जरूरी काम से जा रहे हैं, लेकिन आप कल फिर आना मैं आपको खाना खिलाऊंगी। बूढ़ी मां ने कहा-  ठीक है बेटा आप जाओ तुम्हारे काम में तुम्हें सफलता प्राप्त हो। यह कहकर बूढी मां नाश्ता करने लगी। और आशीर्वाद लेकर रानी और दीपक अस्पताल की ओर निकल पड़े। रास्ते भर उस बूढ़ी मां का चेहरा और उसके शब्द रानी के कान में गूंज रहे थे। रानी मन ही मन भगवान से दुआ कर रही थी कि इस बूढ़ी मां का एक एक शब्द पूरा हो जाए और मेरी मनोकामना पूर्ण हो जाए। रानी यह कह रही थी तब तक दीपक ने..... 'आमीन' .....बोल दिया।

रानी का ध्यान तब टूटा जब दीपक का फोन बजने लगा। दीपक ने फोन देखा और बोला श्रवण का फोन है फोन उठाकर  दीपक ने कहा- हेलो.... हां .….श्रवन  ने जबाव में कहा-  मैं कब से तुम्हारा यहां इंतजार कर रहा हूं ? कहां हो तुम लोग ? दीपक ने कहा- बस बस पहुंच गए हम लोग। मिलकर बताते हैं।  कि हमें देर क्यों हो गई । श्रवन ने कहा- अच्छा ठीक है, जल्दी से पहुंचो, कहकर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। इतने में दीपक ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई और जहां श्रवन से मिलना था। उसे स्थान तक पहुंचने में थोड़ी ही देर लगी, कुछ ही देर में दीपक और रानी वहां पहुंचे, जहां श्रवन से मिलना था। उस स्थान पर पहुंच कर दीपक ने देखा-श्रवन वहां पहले से खड़ा हुआ था। दीपक ने गाड़ी रोकी, और श्रवन को पुकारा...श्रवन.....श्रवन.... आओ..... ।चलो चलते हैं। श्रवन ने देखा, कि दीपक उसे पुकार रहा है।श्रवन आकर दीपक की गाड़ी में आकर बैठ गया। दीपक की गाड़ी में बैठते ही श्रवन ने कहा- जल्दी चलो,पहले ही बहुत देर हो चुकी है। दीपक ने तुरंत गाड़ी स्टार्ट की, और उनके बताए हुए रास्ते पर चल पड़ा। गाड़ी चलाते-चलाते सभी आपस में बातचीत कर रहे थे । श्रवन ने पूछा- बताओ... किस लिए देर हो गयी। तब दीपक बताने लगा। कि हम लोग जैसे ही घर से बाहर निकले, वैसे ही एक वृद्धा दरवाजे पर आकर खाना मांगने लगी। और रानी उसे खाने के लिए कुछ देने के लिए फिर से घर के अंदर गरी।उस वृद्धा को वास्ता देकर हम घर से निकले इसलिए हमें थोड़ी देर हो गयी। श्रवन  बोला- यह तो एक नेक काम था, चलो कोई बात नहीं। नेक काम करने के लिए देर हुई हो सकता है, इस में भगवान का कोई चमत्कार छुपा हो। श्रवन की ऐसी वाणी सुनकर रानी के आंखों में जैसे चमक आ गई। उसे लगा। कि जैसे उसकी मन की इच्छा शायद अब पूरी ही हो जाएगी। वैसे भी कहा गया है। कि नेकी कर दरिया में डाल। भूखे को भोजन कराना तो बहुत ही पुण्य कर्म होता है। तुम्हें आज इस नेक काम के लिए भगवान ने  बहुत आशीर्वाद दिया होगा। बात करते-करते वह तीनों अस्पताल के दरवाजे पर पहुंच गए।

श्रवन ने दीपक को गाड़ी पार्क करने को कहा- गाड़ी पार्क होते ही सभी गाड़ी से उतर पड़े। श्रवण आगे-आगे चल रहा था, दीपक और रानी पीछे पीछे चल रहे थे।  अस्पताल में घुसने के बाद श्रवन डॉक्टर के कमरे की तरफ बढ़ने लगा।श्रवन दीपक और रानी से कहा- कि आप लोग मेरे पीछे पीछे आइए। डॉक्टर के रूम पर पहुंच कर श्रवन ने दीपक और रानी को बाहर बैठने को कहा- और खुद डॉक्टर के रूम में चला गया। थोड़ी ही देर में श्रवन बाहर आया और उसने दीपक और रानी को डॉक्टर के कमरे में चलने को कहा- डॉक्टर के कमरे में जाकर श्रवन ने डॉक्टर साहब को सब बताने को कहा- दीपक और रानी आपने सभी बातें डॉक्टर साहब को बताना शुरू किया। कि उन्होंने कैसे-कैसे किस किस डॉक्टर को दिखाएं, क्या-क्या दवा रानी को दी गई, क्या क्या टेस्ट करवाए गए। सभी कुछ उन्होंने डॉक्टर साहब को बताना शुरू किया। डॉक्टर साहब ने दीपक से कहा-कि वह सब रिपोर्टस आप मुझे दिखा सकते हैं। दीपक ने कहा- जरूर सर। पर आज तो हम वह सब  नहीं लेकर आए हैं। अभी आ रानी का चेकअप कर लीजिए उसके बाद हमें जब दोबारा  बुलाएंगे तो श्रेया के सभी रिपोर्ट मेडिसिन के पर्ची सभी लेकर आपके पास आएंगे। और आपको दिखा देंगे। डॉक्टर साहब ने नर्स को आवाज दी और से रानी को चेकअप रूम में ले चलने को कहा- रानी को चेकअप रूम में ले गई डॉक्टर साहब कहां है उन्होंने रानी का चेकअप किया। चेकअप करने के बाद बाहर आकर उन्होंने दीपक को बताया। कि अभी हमें कुछ टेस्ट कराने होंगे। वह सभी टेस्ट कराकर टेस्ट की रिपोर्ट लेकर आप एक हफ्ते बाद मेरे पास आइए। अभी मैं कुछ दवाई लिख देता हूं, जो आज से ही शुरु कर देना। वह रानी को आज से ही खानी  होगी। दीपक में डॉक्टर साहब से पूछा डॉक्टर साहब क्या लगता है ,क्या रानी मां बन पाएगी। डॉक्टर साहब ने कहा- बिल्कुल रानी मां बन सकेगी। लेकिन कुछ समय लगेगा, आप यह टेस्ट कराकर टेस्ट की रिपोर्ट लेकर मेरे पास अगले हफ्ते आइए। डॉक्टर साहब की यह बात सुनकर दीपक और रानी तो खुशी से फूले नहीं समाए,उन्हें ऐसा लगा कि उनकी बंजर धरती पर फूल उग आए हों। उन्होंने डॉक्टर को धन्यवाद कहा-और रानी को लेकर बाहर आ गया। बाहर आकर दीपक और रानी ने श्रवन को धन्यवाद कहा- श्रवन ने कहा- अभी मुझे धन्यवाद मत कीजिए ।पहले आपकी गोद भर जाए तब मैं सच्ची में अपने आप को धन्यवाद का अधिकारी समझूंगा।  श्रवन ने कहा- अब आप टेस्ट करा लीजिए, मैं चलता हूं, मुझे आफिस जाना है। शाम को बात करते हैं। कहकर श्रवन ऑफिस के लिए निकल गया।

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2 Comments

नंदिता राय

01-Oct-2022 09:36 PM

Nice part 👌

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Gunjan Kamal

25-Sep-2022 11:35 PM

बेहतरीन भाग

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